وَأَنْزَلَ مِنَ السَّمَاءِ مَاءً فَأَخْرَجَ بِهِ مِنَ الثَّمَرَاتِ رِزْقًا لَكُمْ وَسَخَّرَ لَكُمُ الْفُلْكَ لِتَجْرِيَ فِي الْبَحْرِ بِأَمْرِهِ وَسَخَّرَ لَكُمُ الْأَنْهَارَ ﴿32﴾
और उसने आकाश से पानी बरसाया और उसके साथ फल-फूल पैदा किए, जो तुम्हारे लिए रोज़ी है। उसने अपने आदेश से समुद्र में नावों को चलाया और नदियों को तुम्हारे अधीन कर दिया।
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